दो बातें

दो बातें:गौतमी चतुर्वेदी पाण्डेय

गौतमी चतुर्वेदी पाण्डेय
शिक्षिका, गीतकार, कवयित्री,
लेखिका, समाजसेविका पुणे।
संस्थापिका : विद्या-रामचंद्र स्मृति साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थान

दो बातें जो सृजनशीलता के लिए ज़रूरी हैं?

}   सृजनशीलता के लिए संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता एवं मौलिक विचारों के साथ दायित्व का बोध आवश्यक है।

}   भाषा और शब्दों की गहरी समझ होनी चाहिए, अगर सृजनशीलता लेखन के संदर्भ में है।

दो बातें जो आपके लेखन की आधार हैं?

}   संवेदनशीलता, जिज्ञासु प्रवृत्ति के साथ आपके भीतर निरंतर चलती एक प्रक्रिया/संवाद, जो सृजनशीलता को जन्म देते हैं।

}   मौलिकता।

दो बातें जो आपको एक शिक्षिका के रूप में अच्छी
लगती हैं?

}   एक शिक्षिका के रूप में आपके अंदर निर्माण की शक्ति होती है चाहे वह निर्माण मनुष्य का हो या राष्ट्र का। उचित समय पर अगर विद्यार्थियों के ऊर्वर मस्तिष्क में सही प्रश्न बो दिया जाए तो, वहीं से निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

}   अपने विद्यार्थियों के साथ जब आप प्रश्नों का हल ढूंढने का प्रयास करते हैं तो इस प्रक्रिया में आप ख़ुद के कई आयामों को भी उद्घाटित करते हैं।

विद्या-रामचंद्र स्मृति साहित्यिक एवम सांस्कृतिक संस्थान की संस्थापिका के रूप में आपकी दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राथमिकताएंँ?

}   जिनके नाम पर यह संस्था है, विद्या यानी मेरी दादी जो परिपूर्ण होने के साथ, मानवीय संवेदनाओं को लिए, सरलता की प्रतिमूर्ति थीं, भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम मुझे उन्हीं से मिला है, और मेरे दादा जी श्री रामचंद्र चतुर्वेदी, जिनके विराट व्यक्तित्व को परिभाषित करना सरल नहीं है,उनका पूरा जीवन ही समाज और देश की सेवा को समर्पित था।

}   कृषि से लेकर शिक्षा तक के क्षेत्र में उनका अमूल्य योगदान रहा। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम एवं देश सेवा में अपना सर्वस्व न्योछावर किया।वह साफ-सुथरी, स्वस्थ एवं सिद्धांतों की राजनीति में विश्वास रखने वाले एक नेता के रूप में सुविख्यात, जिन्हें समय के सभी शीर्षस्थ नेताओं जैसे जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, चंद्रशेखर (प्रधानमंत्री) इत्यादि से सम्मान प्राप्त था।

आज मेरे पिता जी भी उन्हीं सेवा कार्यों के लिए प्रयत्नशील हैं।

}   संस्था का उद्देश्य:
पर्यावरण, शिक्षा,संस्कृति, मनुष्यता एवं हमारी शस्य-श्यामला वसुंधरा, के मूल रूप को संरक्षित एवं संवर्धित करना।

}   इन सभी आयामों में साहित्य एवं अन्य माध्यमों द्वारा सेवा का कार्य।

समाजसेविका के रूप में किए गए दो कार्य जिन पर आपको गर्व है?

}   ऐसा कुछ तो अभी तक नहीं कर पाई हूंँ जिस पर गर्व हो, हांँ एक बोध ज़रूर है कि पृथ्वी पर अपने होने की सार्थकता को सिद्ध कर सकूँ।

दो संदेश जो आप स्वरचित गीत “हे स्वच्छता के दूत” के ज़रिए देना चाहती हैं?

}   एक कृतज्ञता का भाव जो हम सबमें होना चाहिए उनके प्रति जिनके कारण हम स्वच्छ वातावरण में सांँस ले सकते हैं। बिना आंगन को बुहारे तो हम, हमारे सर्व सुलभ ईश्वर को भी नहीं बुलाते हैं।

}   स्वच्छता के सभी सिपाहियों को यथोचित सम्मान मिलना चाहिए। इसके साथ ही एक स्वच्छ परिवेश के लिए प्रयासरत रहने का संदेश भी देती है, मेरी यह कविता।

दो बातें जो आप पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए देशवासियों से कहना चाहती हैं?

}   जो मुफ़्त है, और प्राप्त है,
अक्सर वही अज्ञात है !
अभिशप्त ना कर दो उसे,
जो मिल रही सौगात है!🙏🏻

}   इतनी सुंदर धरा को सोचो! अगर हम नहीं बचाएंँगे, तो क्या छोड़ कर जाएंँगे?

भविष्य की दो संभावनाएंँ जो आप नवोदित शिक्षिकाओं में देखती हैं?

}   नवोदित शिक्षिकाओं -शिक्षकों के पास तकनीकि का ज्ञान है, जिससे वह अध्ययन-अध्यापन और अधिगम को और भी प्रभावशाली एवं अर्थपूर्ण बना सकते हैं, उनके पास आज अधिक साधन है जिससे वह क़िताबी ज्ञान से बाहर, विषय को जीवन से जोड़कर पढ़ा सकते हैं।

}   शिक्षिक होने की पहली शर्त एक अच्छा विद्यार्थी होना है, निरंतर कुछ जानने के लिए प्रयासरत रहना और यही, जिज्ञासा का बीज अगर छात्रों के ऊर्वर मस्तिष्क में बोते रहें तो आज के सूचना संपन्न बच्चों की ऊर्जा को सही दिशा में प्रेरित किया जा सकता है।

दो बातें जो आपको हिंदी भाषा में प्रिय हैं?

}   इसका पूर्णत:व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक व्याकरण,  इसमें जैसा बोलते हैं वैसा ही लिखते हैं (Hindi is a very well diversified language) भारत की सर्वाधिक बोली एवं समझी जाने वाली भाषा है।

}   विश्व स्तर पर भी सर्वाधिक सुगम भाषाओं में एक है। अपनी एक कविता की पंक्तियों के माध्यम से आपके इस प्रश्न का उत्तर देती हूंँ:

संस्कृति की संवाहक हिंदी,
सरल,लचीली, व्यापक हिंदी !
इसके रक्षण-पोषण का संकल्प
नहीं दोहराएंगे तो,
क्या छोड़ कर जाएंगे!
दो बातें जो सफल मंच संचालन के लिए ज़रूरी हैं?

}   विषय एवं भाषा के साथ इनकी व्यावहारिकता का ज्ञान।

}   लोगों से जुड़ पाने की क्षमता जिसके लिए मंचासीन एवं मंच के समक्ष उपस्थित श्रोताओं के डायनैमिक्स का ज्ञान आवश्यक है।

दो शक्तियांँ जो हर महिला में होती हैं?

}   धैर्य सबको साथ लेकर चलने की क्षमता एवं इच्छा। इनमें भावनाओं को समझने की एक अद्भुत शक्ति होती है। अपने दायित्वों के निर्वहन में प्राण एवं प्रण लगाकर, एक साथ, अनेक भूमिकाएंँ निभाती हैं। (आप मल्टीटास्किंग भी कह सकते हैं इसे)

}   ईश्वर की रचनाधर्मिता की पराकाष्ठा की अभिव्यक्ति है नारी।

दो बातें जो आप अपने आलोचकों से कहना चाहतीं हैं?

}   ‘निंदक नियरे राखिए, आंँगन कुटी छवाय’!
स्वयं को दूसरे के स्थान पर रख कर देखने का प्रयास करें।

}   आलोचना सामने वाले के मुंँह पर करें ना की पीठ पीछे ताकि वह अपना मार्जन कर सके।

दो जीवनमूल्य जो आपको अपने माता पिता से मिले हैं?

}   मांँ : श्रीमती नंदिनी चतुर्वेदी से
सादगी/सरलता/आडंबरहीनता और आध्यात्मिकता।

}   पिता : श्री सूर्य प्रकाश चतुर्वेदी से
मूलत:जुझारू व्यक्तित्व /संघर्षशीलता/कठिन परिश्रम/सकारात्मक दृष्टिकोण,ईमानदारी,

अपने जीवनसाथी से आपकी दो अपेक्षाएं?

}   ‘हमसफर है वही, जो हर एक हाल में, हर सफ़र संग तुम्हारे, अयन कर सके..!’(मेरी कविता ‘हमसफर’ से)

अगर मैं सही रास्ते पर हूंँ तो मेरा साथ देकर मेरा संबल बनें, कहीं कुछ ग़लत हो तो एक मित्र की तरह मुझे समझा सकें।

इस विषय में मेरे विचारों को, मेरी यह कविता ज्यादा स्पष्ट करती है:

जो पूर्ण समर्पण करता है,
वह पूर्ण समर्पण चाहेगा।

दरकार नहीं उपहारों की,
बस भाव का अर्पण चाहेगा।

तुमसे बेहतर, तुमको जाने,
वर्षा में अश्रु को पहचाने।

मिलवा दे तुमको, तुमसे ही,
एक ऐसा दर्पण चाहेगा।

}   दोनों के बीच परस्पर सम्मान आवश्यक होता है।

पुणे शहर के दो आकर्षण जो सबको प्रभावित करते हैं?

}   सांस्कृतिक राजधानी के सभी गुण हैं इसमें।

}   यहांँ का प्राकृतिक वातावरण, यहांँ की उत्सव धर्मिता।

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