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विभिन्न शेड्स वाली भूमिकाएं मेरी प्राथमिकता है

‘नानक नाम जहाज है’ लोगों को आस्था और विश्वास से जोडऩे वाली फिल्म है

कमलजीत कौर
एक्टर

एक्टर कमलजीत कौर से गुरबीर सिंघ चावला की खास बातचीत

आप अभिनय के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहती हैं। इसकी प्रेरणा आपको कहां से मिली?

बचपन से ही मुझे अभिनय में रुचि थी। जब छोटी थी तो मिरर के सामने खड़े होकर न्यूज बुलेटिन पढ़ती थी। मुझे बस यही लगता था कि एक दिन मुझे स्क्रीन पर आना है। 20 वर्ष की उम्र में मुझे आगरा के मशहूर चैनल में न्यूज एंकरिंग का मौका मिला। तीन महीने की ट्रेनिंग भी इसी दौरान हुई। न्यूज एंकरिंग से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और मुझे लगा कि इसके अलावा भी कुछ बड़ा करना है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई आ गई। मैंने कई जगह ऑडिशंस दिए और एक्टिंग की फील्ड में कुछ करने के लिए अपना एक नया सफर शुरू किया।

आपको सबसे पहला काम कौन सा मिला।कौन सा किरदार आपने निभाया और कैसा अनुभव रहा?

‘साथ निभाना साथिया ’ में मैंने अपना पहला किरदार निभाया था एक इंसपेक्टर का। पहले किरदार को निभाने का मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा और यह हमेशा यादगार रहेगा।


मुंबई में बहुत सारे कलाकार एक्टिंग में अपनी पहचान बनाने के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं। अपनी पहचान बनाने के लिए आपके सामने क्या चैलेंजेस हैं?

मुंबई में अपनी पहचान बनाने के लिए कई नए कलाकार स्ट्रगल कर रहे हैं। नए सीरियल्स की संख्या भी बढ़ी है जिनमें कलाकारों को अवसर मिल रहे हैं। जहां तक मेरे लिए चैलेंजेस की बात है तो एक कलाकार के लिए नित नए चैलेंजेस होते हैं। यहां आने के बाद मैंने काफी जगह ऑडिशंस दिए थे। कुछ जगह मुझे अवसर मिलने लगे और अलग-अलग किरदारों में अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश कर रही हूं।

अब तक आपने कितने प्रोजेक्ट्स में काम किया है। उसके बारे में कुछ बताइए?

मैंने कई अलग-अलग प्रोजेक्ट्स किए हैं। स्टार प्लस का सीरियल ‘साथ निबाना साथिया ’ ‘संजोग ’ कलर्स टीवी का शो ‘स्पाई बहू ’ क्राईम पेट्रोल के एपीसोड्स और ‘दिल दिया गल्ला ’ में मैंने काम किया है। सीरियल के साथ-साथ मैं मूवी भी करना चाहती थी। संयोगवश फिल्म ‘नानक नाम जहाज़ ’ के लिए कॉल आया कि अपना एक ऑडिशन भेज दीजिए। इस ऑडिशन मेरा सेलेक्शन हो गया और वाहेगुरु जी की कृपा से इसमें मैंने एक संक्षिप्त भूमिका निभाई है। इस फिल्म में काम करने का मौका मुझे कल्याणी मैडम ने दिया जो इस फिल्म की निर्देशक हैं। इसमें मैंने मुकेश ऋषि के बचपन की जब कहानी चलती है तो उसमें उनकी मां का रोल निभाया है। मेरा यह रोल संक्षिप्त है पर महत्वपूर्ण है।

फिल्म ‘नानक नाम जहाज़ है’ की सबसे बड़ी विशेषता आप क्या मानती हैं?

‘नानक नाम जहाज़ है’ फिल्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह लोगों को आस्था और विश्वास से जोडऩे वाली फिल्म है। ईश्वर के प्रति आस्था के लिए समर्पित है यह फिल्म। जो लोग ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानते उनके लिए भी यह फिल्म एक बहुत बड़ी प्रेरणा है।

आजकल की हाईटेक युवा पीढ़ी जो ईश्वर के अस्तित्व और सार्वभौमिकता पर सवाल उठाते हैं उनके लिए भी फिल्म में एक मैसेज है। मैं कहना चाहूंगी कि सभी धर्मों के लोग इस फिल्म को जरूर देखें और अपने जीवन को साकार करें।

आप किस तरह की भूमिकाएं करना चाहती हैं?

विभिन्न शैड्स वालीभूमिकाएं मेरी प्राथमिकता है। रोल भले ही संक्षिप्त हो हो पर उसमें अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिलना चाहिए। फिल्म ‘नानक नाम जाहज है’ की तरह अन्य रीलिजियस फिल्मों में भी काम करना चाहूंगी क्योंकि रीलिजियस फिल्मों में काम करने की एक अलग ही संतुष्टि होती है। एक कलाकार की कला की सार्थकता इसी में है की अलग अलग तरह की भूमिकाएं पूरी जीवंतता के साथ निभा सके।

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