नित नई चुनौतियां और उन पर विजय का परिणाम प्राप्त करना मेरे जीवन का हिस्सा है

मेरे लिए चुनौती का अर्थ अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकाल कर जीवन के निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत से गुज़रते हुए सफलता की ओर बढ़ना है
हिना खान
उप – संचालक, अभियोजन
छत्तीसगढ़ शासन
आपका कैरियर कहाँ से शुरू हुआ विभिन्न पड़ावों को पार करते हुए अब तक का सफ़र कैसा रहा?
वर्ष 2009 में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी के पद से मेरी शासकीय सेवा प्रारंभ हुई। जिस पद पर मेरा चयन हुआ था। इस पद का मुख्य कार्य दांडिक न्यायालयों के अपराधिक प्रकरणों में शासकीय रूप से पैरवी करते हुए विवेचना में पाए गए तथ्य और साक्ष्यों को न्यायालय के समक्ष रख कर पीड़ित को न्याय प्रदान करना होता है। वर्ष 2009 से वर्ष2024 तक का मेरे कैरियर का सफ़र क़रीब सोलह वर्ष का रहा जो की नित नई चुनौतियों से भरा रहा। एक लोक अभियोजक का कार्य मात्र अपराधियों को सजा दिलाना नहीं होता है बल्कि सत्यता के पहलुओं को सबूत के साथ न्यायालय के समक्ष रखना होता है। इस लक्ष्य तथा कर्तव्य को मस्तिष्क में रख कर कार्य करना वास्तव में प्रबल रूप से टॉस्क की तरह था जो कि मैंने बख़ूबी निभाया और अपने पद साथ न्याय भी किया।
उपसंचालक के पद पर पदोन्नत होने पर आपकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राथमिकताएं क्या हैं?
इस पद पर मेरी प्राथमिकता हैं –
आपराधिक मामलों के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र में अभियोजकों के काम की उत्तम देखरेख।
साक्ष्य संग्रह और तैयारी कानूनी मानकों के अनुरूप सुनिश्चित करने के लिए पुलिस, जांचकर्ताओं और कानूनी टीमों के साथ मिलकर उत्तम रूप से समन्वय स्थापित करना।
उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करने के लिए हाई-प्रोफाइल या संवेदनशील मामलों की विशेष निगरानी करना।
अधीनस्थ अभियोजकों के लिए उनके कानूनी कौशल को बढ़ाने और उन्हें कानूनी सुधारों और निर्णयों पर अद्यतन रखने के लिए जिले में प्रशिक्षण सत्र आयोजित करना।
अभियोजन के रिकॉर्ड बनाए रखना और सफलता दरों का विश्लेषण कर सुधार के क्षेत्रों की पहचान करना।
अभियोजन के प्रयासों को सुव्यवस्थित करने के लिए न्यायपालिका अधिकारियों, पुलिस और फोरेंसिक टीमों के साथ सहयोग करना।
आप वर्तमान में लोक अभियोजन संचालनालय छत्तीसगढ़ में पदस्थ हैं। वहाँ मिले शासकीय दायित्व के संबंध में जानना चाहेंगे?
श्री अरुण देव गौतम सर आईपीएस (DG) वर्तमान में लोक अभियोजन में संचालक हैं। उन्होंने लोक अभियोजन विभाग में बतौर प्रमुख कार्य करते हुए अभियोजन विकास पर अनेक सकारात्मक कार्य किए हैं। उन्होंने आपराधिक प्रकरणों में पीड़ित को त्वरित न्याय मिलने, फरार अभियुक्तों को न्यायालय में उपस्थित कराने,महत्वपूर्ण मूल दस्तावेज और विशेषज्ञ रिपोर्ट को शीघ्र रूप से प्रस्तुत कराने, अपराधिक मामलों में पैरवी विषयक अनावश्यक विलंब को दूर करने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए जिस पर अमल करने पर अभियोजन सशक्त हुआ है। वहीं अभियोजकों को समय समय पर सेमिनारों का आयोजन कर उन्हें विधिक रूप से उत्कृष्ट कार्य करने, पेपरलेस वर्किंग करने के लिए प्रेरित किया,जिससे अभियोजकों की कार्य क्षमता बढ़ी। आदरणीय गौतम सर की सबसे अच्छी बात है कि वे अभियोजकों की समस्याओं को सुन कर उनका निदान करने का पूरा प्रयास करते हैं।
श्री गौतम सर के द्वारा मुझे छत्तीसगढ़ के आपराधिक प्रकरणों में विभाग के द्वारा जारी समस्त दिशा निर्देशों के अनुपालन पर लोक अभियोजकों की कार्य स्थिति पर परीक्षण एवं अभिमत दिए जाने का निर्देश / आदेश प्रदान किया है।
पति के बिना अपने जीवन को मज़बूती से संभालना और बच्चों को बेहतर भविष्य देना आपके लिए कितना चुनौती पूर्ण रहा?
मेरे लिए चुनौती का अर्थ अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकाल कर जीवन के निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत से गुज़रते हुए सफलता की ओर बढ़ना है। पति के शहीद होने के बाद मैंने बच्चों को समझाना शुरू किया क्योंकि उस उम्र में मैं मैं तो व्यस्क थी किंतु मेरे बेटे अवयस्क थे और अचानक पिता को खोने के सदमे से पूरी तरह से नहीं उबर पा रहे थे, मैंने यह भी देखा और समझा कि उनका यह दुख उन्हें समय से पूर्व ही बड़ा बनाने को आतुर था तब मैंने स्वयं को माँ की भूमिका के साथ साथ पिता की भूमिका में भी आना उचित समझा और मज़बूती और आत्मविश्वास से घर और बाहर की बागडोर संभाल कर अपने पैरों में खड़ी हो गई। मेरा यह बदला हुआ रूप देख कर बेटे बहुत ख़ुश हुए और अपनी उम्र में वापस लौट आए और पढ़ाई के साथ साथ उनके पिता ने जो जीवन के लक्ष्य प्रदान किए थे उस पर अपना ध्यान लगाना शुरू किया। पति को असमय खोने की इस असीम पीड़ा को हृदय में छुपा कर बच्चों के सामने हसना खिलखिलाना,उनके पिता के अंदाज़ में पीठ थपथपाकर आगे बढ़ने के लिए उन्हें प्रेरित करना फिर बेटों के चेहरों में आत्मविश्वास की चमक को वापस लौटाना,घर और बाहर की दुनिया में तालमेल बिठाना बड़ी चुनौती थी क्योंकि मुझे घर और बाहर दोनों ही जगहों में स्वयं को परफ़ेक्ट साबित करना था।
आपको एक शहीद की पत्नी होने का गौरव प्राप्त है आपके पति के बारे में जानना चाहेंगे उनके ऐसी कौन सी खूबी थी जो उनके व्यक्तित्व को निखरती थी?
मेरे पति शहीद अब्दुल ख़ान 1988 बैच के पुलिस अधिकारी थे एवं शहादत के पूर्व जिला नारायणपुर के थाना फरसगाँव में पुलिस निरीक्षक थे। जिला नारायणपुर नक्सल प्रभावित था किंतु वह क़रीब 14 साल पूर्व नक्सल क्षेत्र में अपनी सेवाएँ दे चुके थे इसलिए वो उस थाने में अपने पूर्व कार्य तथा अनुभव के आधार पर अपना बेस्ट देना चाहते थे। उन्होंने इस क्षेत्र में ग्रामीणों का भरोसा जीतना शुरू किया सभाओं में वह ग्रामीणों को एकत्र करते थे। उन्हें “पुलिस मित्र है शत्रु नहीं “विषय पर सकारात्मक बात सुनाकर नक्सलियों का बहिष्कार करने प्रेरित करते वह “एकला चलो “की तर्ज़ पर सदैव कुछ अलग और विशेष कार्य करने को आतुर रहते थे। नक्सल गश्त पर अपनी टीम को कमांड देते हुए सदैव आगे चलते स्पष्टवादिता निडरता, निष्ठा से भरा हुआ हृदय प्रत्येक परिस्थितियों में स्वयं को ढालने का गुण एवं सुविचारों की वाकपटुता की ख़ूबी उनके व्यक्तित्व को भीड़ में अलग पहचान देती थी। ग़रीब जनता की यथा संभव मदद को हमेशा तत्पर रहते थे।
आप अपने प्रोफेशनल कार्यों के साथ साथ विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर लेखन भी करती हैं इन विषयों पर आपका फोकस अधिक रहता है?
मेरा लेखन महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित रहता है, जिसमें मानवीय भावनाओं के दुख, द्वन्द गहराई की खोज होती है, इसके साथ जिसमे संघर्ष और विजय का आकार होता हैं। मैं पारिवारिक मूल्यों के सच्चे सार, धर्मनिरपेक्षता के महत्व और अन्य विषयों पर जोर देती हूं जो एक सार्थक और मानवीय जीवन जीने के मूल सिद्धांतों को दर्शाते हैं। अपने काम के माध्यम से मेरा उद्देश्य सकारात्मक की ओर जाने प्रेरित करना, जागरूकता बढ़ाना और एक अधिक सहानुभूतिपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने में योगदान देना है।
आप अपनी प्रोफेशनल यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानती हैं?
प्रोफेशनल यात्रा अनवरत चलने वाला कर्तव्य रथ है,जो वर्तमान में भी ज़ारी है। पीड़ित को न्याय दिलवाने के बाद उनका शासन पर जब विश्वास बढ़ता है यो तो यह उपलब्धि मेरे लिए सबसे बड़ी होती है कि मैंने अपने कर्तव्य को पूरी तरह से निभा रही हूं।
छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण को किस रूप में आप देखते हैं विशेषकर ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को शैक्षिक और आर्थिक रूप से सशक्त किए जाने के लिए क्या पहल की जानी चाहिए शासन से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?
छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण राज्य के समग्र विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है, इस दिशा पर राज्य सरकार ने प्रभावी एवं विकासोन्मुख कार्य करते हुए महिलाओं को सशक्त करने अनेक योजनाएं भी बनाई हैं,खासकर ग्रामीण आबादी को ध्यान में रखते हुए। महिलाएं यहां कृषि, लघु उद्योग और आदिवासी शिल्प से जुड़ी हुई हैं।
शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए सुझाव
कौशल-आधारित शिक्षा : स्कूलों और कॉलेजों में व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्यमशीलता पाठ्यक्रम शुरू करें, खासकर कृषि, शिल्प और तकनीकी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए।
डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम : ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल कौशल सिखाएं ताकि वे ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर सकें, सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें और ई-कॉमर्स में भाग ले सकें।
इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास : दूरदराज के क्षेत्रों में अधिक स्कूल और कॉलेज स्थापित करें, विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा के लिए। इनमें छात्रावास और सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था हो।
उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता : छात्रवृत्ति, कम ब्याज दर पर ऋण और मेंटरशिप कार्यक्रम प्रदान करें ताकि महिलाएं उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित हों।
आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सुझाव : स्वयं सहायता समूह – इन्हें अधिक से अधिक सहयोग करें.
माइक्रोफाइनेंस और ऋण सुविधाएं : छोटे ऋण और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम प्रदान करें ताकि महिलाएं व्यवसाय शुरू या बढ़ा सकें।
कृषि सहायता : महिला किसानों को उन्नत उपकरण, प्रशिक्षण और सरकारी सब्सिडी प्रदान करें।
रोजगार सृजन : महिलाओं की भागीदारी को स्वास्थ्य, शिक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में बढ़ावा दें, उन्हें कौशल प्रशिक्षण और प्लेसमेंट सहायता प्रदान करें।
सरकार से अपेक्षाएं
समग्र नीतियां : ऐसी नीतियां बनाएं जो केवल आर्थिक और शैक्षिक पक्षों को नहीं बल्कि सुरक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक भेदभाव जैसे मुद्दों को भी संबोधित करें।
कार्यक्रमों की निगरानी : मौजूदा योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन और नियमित निगरानी सुनिश्चित करें, ताकि लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे।
NGO के साथ सहयोग : गैर-सरकारी संगठनों और निजी संगठनों के साथ साझेदारी करें ताकि महिलाओं के लिए केंद्रित कार्यक्रमों का प्रभाव बढ़ सके।
जागरूकता अभियान : महिलाओं को उनके अधिकारों और उपलब्ध अवसरों के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाएं।
नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन : उन कंपनियों को कर में छूट और प्रोत्साहन प्रदान करें जो महिलाओं को रोजगार देती हैं और बढ़ावा देती हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
इन कदमों से छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया जा सकता है, जिससे महिलाएं शैक्षिक और आर्थिक रूप से सशक्त होकर राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
शहीद के परिवारों के लिए सामाजिक कार्य भी करती हैं किस तरह से उनके कठिनाइयां दूर कर पाती हैं?
छत्तीसगढ़ के शहीद परिवारों से मैं विगत 12 वर्षों से जुड़ी हूँ।इस दौरान मैंने देखा कि शहीद की पत्नियों को शासकीय योजनाओं एवं नियम की जानकारी नहीं होती है।जिससे वह शहीद के परिवार को मिल सुविधा और छूट का लाभ नहीं ले पाती वहीं इसके अभाव में परेशान रहती थीं।सही जानकारी नहीं होने पर उनका जीवन कठिनाईं लिए हुए था। उदाहरण के लिए राजनांदगांव जिले के मोहला में निवास कर रही शहीद की पत्नी के बैंक अकाउंट से प्रत्येक माह कुछ पैसे कट रहे थे उसने मुझसे यह बात बताई और कहा कि शासन के द्वारा उसकी पेंशन राशि के पैसे दो माह से काटी जा रही।इसके संबंध में मैंने संबंधित बैंक से पूछताछ की तब पता चला कि उनके खाते में किसी देय रकम का भुगतान भूलवश अधिक कर दिया गया था इसलिए वह राशि अब प्रत्येक माह उनके खाते से काटी जा रही , यह जानकारी प्राप्त होने पर वह संतुष्ट हुई। इसके अलावा उनका परिवार मुखिया के शहीद होने पर शिक्षा की अस्मंजस्यता,मानसिक स्वास्थ्य की विषमताओं से भी जूझता था।
मैंने इन विषयों पर कार्य करते हुए सही जानकारी नियम के साथ बताते उनके जीवन को सरल बनाने का प्रयास करती हूँ. आवश्यकता पड़ने पर बच्चों की काउंसलिंग भी लेती हूँ ।
इस हेतु वर्तमान में छत्तीसगढ़ के समस्त शहीद परिवार उप मुख्य मंत्री आदरणीय विजय शर्मा सर गृह मंत्री छत्तीसगढ़ शासन का भी आभार व्यक्त करते हैं कि उनके द्वारा प्रत्येक रेंज में शहीद सेल का गठन कर पुलिस महानिरीक्षक को शहीद परिवार की समस्याओं के निराकरण हेतु आदेश प्रदान किया गया है इस संबंध में कार्य भी प्रारंभ हो चुका है। साथ ही वे स्वयं भी शहीद परिवार की व्यथा सुन कर उनका निराकरण करते हैं.
आजकल के अधिकांश युवा माता पिता की अहमियत नहीं समझते उन्हें बोझ समझते हैं. पारिवारिक मूल्यों के प्रति ऐसी युवा पीढ़ी से आप क्या कहना चाहेंगी?
मैं आज की युवापीढ़ी को कहना चाहूँगी कि माता पिता की भूमिका चिरस्थायी है, क्योंकि मनुष्य विचारो से निर्मित होता है, और मनुष्य के जन्म के पश्चात विचार निर्माण की प्रक्रिया में उसके माता पिता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उन्हें यह समझना होगा कि माता पिता का साथ, और उनके द्वारा दिए गए संस्कार ही उनकी वास्तविक संपत्ति है। आपका अपना कुछ भी नहीं है। आपका जन्म, रूप रंग, सोच,व्यक्तित्व, शिक्षा जिसे आप और दूसरे प्रशंसनीय मानते हैं, यह आपके जीवन की पूरी इमारत का ढांचा और नींव आपके माता पिता की है, यह स्वीकार करें। आपकी सफलता के स्तर को बनाये रखने उसे बढ़ाने आपकी काबिलियत और श्रम के साथ साथ आपके माता पिता का आशीर्वाद और आपके लिए की गई प्रार्थना वह संजीवनी है जो आपके सौभाग्य को बढ़ाती रहेगी। जीवन के विकट समय में उनका साथ पूर्व अनुभवों से भरा होने से आगे की रणनीति और उस नकारात्मक पलों पर विजय पाने सहायक होगा। इसलिए माता पिता का सम्मान करें और हमेशा उन्हें अपने सानिध्य में रखें।
आपको उत्कृष्ट कार्यों के लिए विभिन्न पुरस्कार मिले हैं आप अपने लिए सर्वोच्च पुरस्कार कौन सा मानती हैं ?
मेरे पति का स्वप्न था दोनों बेटे IIT की परीक्षा में उत्तीर्ण हो और वह उन्हें मिलवाने अपने पुलिस अधीक्षक के पास लेकर जाएं फिर पुलिस अधीक्षक अपनी कुर्सी से खड़े होकर बच्चों से हाथ मिलाकर उन्हें बधाई दें किन्तु बच्चों के आईआईटी के एक्जाम के पहले ही मेरे पति शहीद हो गए और उनका यह सपना अधूरा ही रह गया उनके जाने के बाद बेटे आईआईटी एक्जाम में सफल हो कर सलेक्ट हुए जिस की जानकारी मिलने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी हमारे निवास पर आए और बच्चों को बधाई देते हुए आशीर्वाद दिया और उनकी सफलता का सम्पूर्ण श्रेय से मुझे दिया। मेरे पति का सपना इस प्रकार पूरा होगा यह हमारे परिवार ने कभी कल्पना नहीं की थी। डॉ. रमन सिंह जी का हमारे परिवार को दिया गया यह मान सम्मान मेरे जीवन का सर्वोच्च पुरस्कार था।
आप महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं वास्तविक महिला सशक्तिकरण क्या है इसे किस रूप में परिभाषित करना चाहेंगी?
महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य महिलाओं को निर्णय लेने, समाज में भाग लेने और अपनी पूरी क्षमता हासिल करने की क्षमता, आत्मविश्वास और अवसर देने की प्रक्रिया से है। इसमें उन बाधाओं को दूर करना शामिल है जो महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी तक पहुँचने से रोकती हैं। महिला सशक्तिकरण का मतलब जीवन के सभी पहलुओं में महिलाओं के लिए समानता, स्वतंत्रता और सम्मान सुनिश्चित करना है।
महिला सशक्तिकरण के मुख्य पहलू:
शिक्षा: कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच।
आर्थिक स्वतंत्रता: रोजगार, उद्यमिता और समान वेतन के अवसर।
सामाजिक अधिकार: भेदभाव, हिंसा और रूढ़ियों से मुक्ति।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व: निर्णय लेने और नेतृत्व की भूमिकाओं में समान भागीदारी।
महिलाओं को सशक्त बनाने से न केवल व्यक्तियों को बल्कि समुदायों और समाजों को भी लाभ होता है, जिससे आर्थिक विकास, गरीबी में कमी और एक अधिक न्यायपूर्ण दुनिया बनती है।
स्वास्थ्य और कल्याण: स्वास्थ्य सेवा और प्रजनन अधिकारों तक पहुँच।
अपने बच्चों के लिए क्या कॉम्प्लीमेंट्स है, कैसी अपेक्षाएं हैं?
बच्चों के लिए मेरा कॉम्प्लीमेंट है “तारे मेरे आँचल पर”
बच्चों से मेरी अपेक्षाएँ हैं कि चाहे जितने बड़े मुकाम पर वे पहुँच जाए लेकिन हमेशा डाउन टू अर्थ रहें और अपने देश की संस्कृति और सभ्यता से ख़ुद को सदा जोड़ कर रखें।
छत्तीसगढ़ के कौन से पर्यटन स्थल आपको आकर्षित करते हैं?
मेरा जन्म जिला बस्तर के जगदलपुर में हुआ था। साथ ही मैं प्रकृति प्रेमी भी हूँ इसलिए मुझे बस्तर जिले के पर्यटन स्थल चित्रकूट, तीरथगढ़ के जलप्रपात और कुटुमसर की चूना मिट्टी की गुफाएं बहुत आकर्षित करती हैं। वहीं बस्तर के दशहरा त्योहार में रथ यात्रा का बहुत रोमांच रहता है।
अपनी अब तक की सफलताओं का श्रेय किसे देना चाहेगी?
अपनी सफलता का श्रेय पति और बच्चों को देना चाहूंगी।पति ने मुझे उनकी शहादत के पूर्व ही जीवन को हर परिस्थिति में जीवटता से जीने और प्रसन्न रहने की कला सिखाई और बताया कि “जीवन और मृत्यु तुम्हारी अपनी हैं इसलिए इसे सदैव किसी की अपेक्षा के बिना वन मैन आर्मी की तरह जीना चाहिए । वहीं बच्चों ने मुझे बताया कि यदि प्रयास पूरे लगन से किया जाए और लक्ष्य पर आत्मविश्वास से फोकस करें तो कोई भी कार्य असंभव नहीं।