दर्शकों का प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड है : भारती वर्मा

सिनेमा एक ऐसा सशक्त माध्यम है जो हमारी सोच को बदल सकता है
भारती वर्मा
लेखक – निर्माता – निर्देशक
फाउंडर – गोल्डन ड्रीम प्रोडक्शंस
निर्माता-निर्देशक भारती वर्मा से गुरबीर सिंघ चावला की खास मुलाकात
सिनेमा के प्रति आपका आकर्षण कब हुआ। आपको कब यह महसूस हुआ कि सिनेमा के क्षेत्र में अपना प्रोफेशनल कैरियर बनाना है?
सिनेमा के प्रति मेरा आकर्षण तो बचपन से ही रहा है। क्रिएटिव कार्यों में मेरी रुचि थी और समाज के प्रति कुछ करने की महत्वाकांक्षा भी। बचपन से ही मैं कहानियां लिखा करती थी और कोशिश करती थी कि कहानियों में कुछ न कुछ प्रेरणा हो। छत्तीसगढ़ से मेरा शुरू से असीम प्यार रहा है। छत्तीसगढ़ी फिल्में बनाना और निर्देशित करने के अपने सपनों को साकार करने के लिए मैं सक्रिय रूप से इस क्षेत्र में आ गई। मेरा यह मानना है कि सिनेमा एक ऐसा सशक्त माध्यम है जो हमारी सोच को बदल सकता है। सिस्टम या समाज में हो रही गलतियों के प्रति लोगों को जागरुक करने की मुझमें हमेशा प्रबल इच्छा शक्ति रहती थी। अपनी बात रखने के लिए मुझे एक प्लेटफार्म की जरूरत थी। यह प्लेटफार्म मुझे सिनेमा के माध्यम से मिला। इसलिए मैंने निश्चय किया अपनी क्रिएटिविटी के साथ फिल्मों के क्षेत्र में अपना प्रोफेशनल कैरियर बनाऊं और समाज के लिए कुछ कर सकूं।
आपकी पहली फिल्म कौन सी थी जिससे आपने अपना फिल्म कैरियर शुरू किया?
मेरी पहली फिल्म थी ‘डार्लिंग प्यार झुकता नहीं” इस फिल्म की मैं प्रोड्यूसर थी और कहानी भी मेरी थी। यह मेरी पहली फिल्म थी इसलिए इसका निर्देशन मैंने नहीं किया था। इस फिल्म के निर्माण के दौरान सारी प्रक्रिया देखी और के विविध पहलुओं का अध्ययन किया। मुझे लगा कि अपनी फिल्म का निर्देशन मैं कर सकती हूं। निर्माता और लेखक के रूप में मेरी पहली फिल्म मेरे लिए बतौार एक ट्रेनिंग थी। इस फिल्म के निर्देशक प्रणव झा थे जो सिनेमा के एक बहुत अच्छे जानकार हैं।
अब तक आपने कितनी फिल्मों का निर्माण किया है?
अब तक मैंने छह फिल्मों का निर्माण किया है। मेरी पहली निर्देशित फिल्म ‘जीरो बनही हीरो” है। डार्लिंग प्यार झुकता नहीं-2” ‘भभूत” है।’द लेजैन्ड ऑफ अबूझमाड़”। “अर्याना जोन्स और हब ड्रैकूला” दो अंग्रेजी मूवी हमने बनाई हैं।
आपकी आगामी फिल्म ‘डार्लिंग प्यार झुकता नहीं-2” के मुख्य किरदार दीक्षा जायसवाल और अमलेश नागेश के बारे में क्या कहना चाहेंगी?
‘डार्लिंग प्यार झुकता नहीं-2” के दोनों किरदार दीक्षा जायसवाल और अमलेश नागेश बहुत टैलेंटेड कलाकार हैं। दीक्षा बहुत अच्छी अभिनेत्री हैं, बहुत बेहतरीन डांसर भी है। अमलेश भी बहुत अच्छा कलाकार है, बहुत ही सहज, सरल और विनम्र हैं। वह सिर्फ अपने काम से मतलब रखता है और किरदार में स्वयं को समाहित कर लेता है। ‘डार्लिंग प्यार झुकता नहीं-2” के ये दोनों कलाकार बहुत बड़े आकर्षण हैं।
विभिन्न फिल्में बनाने और निर्देशित करने के बाद अपने निर्देशन की क्षमता को कितना मजबूत कर पाई हैं?
अपनी हर फिल्म में मुझे अपनी कला को परखने और सशक्त करने का मौका मिला है। हर फिल्म के साथ मेरे कार्य करने की क्षमता का विकास हुआ है। सिनेमा के माध्यम को बहुत गहराई से मैं समझ पाई हूं। फिल्म का माध्यम हमेशा हमें कुछ नया सिखाता है और सीखने की यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। विभिन्न फिल्मों के निर्माण और निर्देशन के बाद मुझमें इतना आत्मविश्वास आ गया है कि बड़े से बड़ा प्रोजेक्ट मैं अच्छे से कर सकती हूं।
छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादातर पुरुष निर्देशकों के बीच में आप एक महिला निर्देशक हैं। महिला निर्देशक को कैसी प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। क्या चुनौतियां रहती हैं आपके सामने?
छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादातर पुरुष निर्देशकों का यह मानना है कि एक महिला निर्देशक पूरी फिल्म को हैंडल करके सफलता के मुकाम तक नहीं ले जा सकती। एक महिला जब सफल होने लगे तो पुरुषों के अहम को ठेस लगती है। छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में सकारात्मक प्रतिक्रियाओं से मैं बहुत ज्यादा खुश नहीं होती और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं से निराश नहीं होती। मैं सिर्फ अपने काम पर फोकस करती हूं। किसी भी सफल व्यक्ति की पहचान उसके काम से होती है। मुझे इस बात का गर्व भी है कि छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में एक महिला निर्देशक के रूप में अपनी फिल्मों को मिली सफलता से अपनी एक अलग पहचान बना पाई हूं और निरंतर अपना काम कर रही हूं। मैं फिल्मी दुनिया से नहीं हूं फिर भी फिल्मी दुनिया की नित नई चुनौतियों के बीच अपना श्रेष्ठ देने का प्रयास करती हूं। चुनौतियां हमें सशक्त बनाती हैं और सफलता के लिए द्वार खोलती है। हर दिन मेरे लिए एक नया चैलेंज रहता है जिसे मैं सकारात्मक रूप से स्वीकार करती हूं। मैंने इस बात को कभी अपने आप पर हावी नहीं होने दिया कि मैं ज्यादातर पुरुष निर्देशकों के बीच में काम कर रही हूं।
आपकी अब तक की फिल्मों में सबसे बड़ी म्युिज़कल हिट फिल्म कौन सी रही?
‘डार्लिंग प्यार झुकता नहीं” अब तक की सबसे बड़ी म्यूज़िकल हिट फिल्म है। इस फिल्म के गीतों को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। इसके गीत अभी भी लोगों की जुबां पर रहते हैं। मेरी यह कोशिश रहती है कि मेरी हर फिल्म का संगीत कर्णप्रिय बने। अपनी इस कोशिश में मुझे सफलता भी मिली है। मेरी हर फिल्म का संगीत पक्ष बहुत महत्वपूर्ण रहा है। छत्तीसगढ़ की लोक-कला-संस्कृति, संगीत बेहद समृद्ध है जिसकी झलक अपनी फिल्मों में दिखाने का प्रयास करती हूं।
आप एक हारर फिल्म भी बना रही हैं। इसका विचार कैसे आया, इस फिल्म के लिए काम करने का कैसा अनुभव रहा आपका?
मेरी आगामी फिल्म ”भभूत” एक हारर फिल्म है। एक वास्तविक कहानी से प्रभावित होकर इस फिल्म को बनाने का मुझे विचार आया। इस फिल्म के लिए काम करने का मेरा बिल्कुल नया अनुभव रहा। ट्रेंड से हटकर यह एक अलग कहानी है और ‘हारर” फिल्म होने के कारण इसका ट्रीटमेंट भी बिल्कुल अलग है। इस ‘हारर” फिल्म के जरिए समाज में फैले अन्धविश्वास को दूर करने के लिए हमने एक संदेश देने की कोशिश की है।
आप इंडस्ट्री में अपने दम पर बहुत अच्छा काम कर रही हैं, सफल फिल्में भी दे रही हैं फिर भी यहां के विभिन्न अवार्ड समाराहों में आपकी काबिलियत को स्वीकारा नहीं जाता और अवार्ड से दूर रखा जाता है। इस बारे में क्या कहना चाहेंगी?
सबसे बड़ी बात यह है कि मेरी काबिलियत की यहां की इंडस्ट्री स्वीकारे या न स्वीकारे इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि दर्शक मेरी काबिलियत को स्वीकारतें हैं और मेरी फिल्मों को हिट करते हैं। दर्शकों का प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड है। जो अवार्ड खरीदकर लिया जाए उसकी कोई अहमियत नहीं होती।
छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में जब किन्हीं कारणों से आपकी आलोचना होती है तो उसे किस रूप में स्वीकारती हैं?
स्वस्थ आलोचनाएं मेरे काम को और निखारती हैं। व्यर्थ की आलोचनाओं पर मैंअपना समय खराब नहीं करती। जब कोई व्यक्ति अपनी क्रिएटिविटी से सफल होने लगता है तो उसके दुश्मन भी बहुत हो जाते हैं। इंडस्ट्री में कुछ लोगों का काम ही आलोचना करना होता है। आलोचनाएं मुझे और अच्छा करने के लिए प्रेरित करती हैं और मेरी कार्यक्षमता को बढ़ाती है। आलोचक अपना काम करते हैं और मैं अपना काम करती हूं।
छत्तीसगढ़ सिने इंडस्ट्री में काफी फिल्में निरंतर बन रही हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में कौन-सा पक्ष आपको ज्यादा आकर्षित करता है?
हमारे पास छत्तीसगढ़ी फिल्मों में दिखाने के लिए रियल स्टोरीज बहुत हैं। अगर हम रियल स्टोरिज को अपनी फिल्मों में वास्तविकता और कहानी की गहराई को समझते हुए दिखाएं तो फिल्में सफलता के नए आयामों को स्पर्श कर सकती हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मों की कहानी, पटकथा का पक्ष मुझे बेहद प्रभावित करता है पर दिक्कत वहां पर आती है जहां पर सशक्त कहानियों को परदे पर लाते वक्त फिल्मकार कहानी के साथ पूरा न्याय नहीं कर पाते, जिससे फिल्में सफल नहीं हो पाती। हमारे पास समृद्ध कहानियों का अनमोल भंडार है। इन कहानियों को गहराई से फिल्म की तकनीक के हिसाब से अध्ययन कर परदे पर प्रस्तुत करें तो फिल्में सार्थक हो सकती हैं।
एक ओर जहां छत्तीसगढ़ी फिल्मों की संख्या बढ़ी है वहीं नई नवोदित कलाकार भी इंडस्ट्री में आ रहे हैं। नवोदित कलाकारों में कैसी संभावनाएं आप देखती हैं?
यहां के नवोदित कलाकारों में अपार संभावनाएं मैं देखती हूं। यहां के सारे कलाकार माटी से जुड़े हुए हैं। यहां के कलाकारों की प्रतिभा इसलिए निखर नहीं पा रही है क्योंकि उनकी काबिलियत के हिसाब से उनको स्क्रिप्ट और किरदार नहीं मिल पाते। यहां के कलाकारों को सही प्लेटफार्म मिले तो अपनी अभिनय दक्षता को बख़ूबी साबित कर सकते हैं।
यह भी देखा गया है कि फिल्मों की निर्माण की तुलना में कमर्शियल रूप से सफल फिल्मों की संख्या बहुत कम होती है। इसके क्या कारण आप मानती हैं?
फिल्मों की असफलता के कई कारण हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण है फिल्म निर्माण और इसके विविध पहलुओं की समझ न होना। कुछ ‘’फ्रॉड”लोग भी यहां हैं जो अपने स्वार्थ के कारण नए लोगों को अपनी बातों के जाल में फंसाकर फिल्में बनवा लेते हैं और फिल्मों के असफल होने पर स्वयं को किनारे कर लेते हैं। नए निर्माताओं की बड़ी रकम भी डूब जाती है और फिल्में भी बुरी तरह असफल हो जाती है। अच्छी फिल्में बनाने के लिए फिल्मों के विभिन्न पक्षों का गहराई से अध्ययन और फिल्म तकनीक की समझ होना ज़रूरी है।
छत्तीसगढ़ी सिने इंडस्ट्री को आप वर्तमान में किस पड़ाव पर देखती हैं। शासन से क्या अपेक्षाएं हैं?
हम इसे इंडस्ट्री कहते हैं लेकिन यह अभी पूरी तरह से फिल्म इंडस्ट्री बन नही पाई है। जहां तक शासन से अपेक्षाओं की बात है तो अपेक्षाएं तो बहुत सारी है। शासन कुछ गिने-चुने लोगों के सुझावों पर अपने फैसले लेती है जो निष्पक्ष नहीं होते। शासन कुछ लोगों के विशेष प्रभाव से ऊपर उठकर इंडस्ट्री के लोगों से सर्वसम्मति से सुझाव लेकर इंडस्ट्री के विकास के लिए नीतियां बनाए तो हमारी इंडस्ट्री का वास्तविक विकास हो पाएगा।