अनुभवों ने बहुत कुछ सिखा दिया भावना सिंह

अभिनय की कला मुझे विरासत में नहीं मिली यह मेरे अंतर्मन की ही आवाज़ थी
भावना सिंह
एक्टर
मुंबई
अभिनय के प्रति आपका झुकाव कैसे हुआ। यह आपको विरासत में मिला या आपके दिल की आवाज़ थी?
अभिनय के प्रति मेरा झुकाव मेरे कॉलेज के दिनों से हुआ था। मैंने दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया था और मेरे कॉलेज में डांसिंग के फेस्ट हुआ करते थे। जिसमे मैंने हमेशा पार्टिसिपेट किया और कॉलेज में नुक्कड़ नाटकों को देख के मेरे दिल से आवाज़ आई कि मुझे भी अभिनय करना चाहिए और अभिनय के प्रति रुचि बढ़ने लगी। घर में सब टीवी सीरियल देखा करते थे तो मन में आता था कि वे भी मुझे ऐसे ही टीवी पर देखें। तभी मन बना लिया था कि मैं भी मुंबई जाऊँगी और एक्टिंग के लिए कोशिश करूँगी। मुझे अपने आप पर भरोसा था कि मैं कुछ अलग कर सकती हूं। मम्मी पापा को मैने मुंबई भेजने के लिए मनाया और अपने सपनों को साकार करने मुंबई आ गई। अभिनय की कला मुझे विरासत में नहीं मिली यह मेरे अंतर्मन की ही आवाज़ थी।
जब आपके घरवालों को पता चला कि आप मुंबई जा कर अपना प्रोफेशनल कैरियर बनाना चाहती हैं तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
जब उन्हें पता चला कि मैं मुंबई जा कर अपना करियर बनना चाहती हूँ तो हर माँ बाप की तरह उन्हें भी अपनी बेटी की फ़िक्र थी कि कैसे मैनेज करेगी। कैसे लोग होंगे वहां सेफ्टी को लेकर डर और मुझे अकेले भेजना उनके लिए बहुत बड़ी बात थी। उन्हें भरोसा था मुझ पर कि मैं एक जिम्मेदार लड़की हूँ। मेरी एक सहेली थी उसे डांस में अपना करियर बनाना था तो हम दोनों ने निर्णय लिया कि हम साथ में रह कर अपना काम करेंगे।
मुंबई आने के बाद आपका प्रारंभिक संघर्ष कैसा रहा। आपको पहला ब्रेक आसानी से मिला या काफी प्रयास करने पड़े?
मुंबई आने के बाद जो संघर्ष रहा वो मैंने सोचा भी नहीं था। जिस लड़की पर भरोसा कर के मैं मुंबई आई थी उसने मुंबई आने के पहले ही दिन धोखा दे दिया, साथ में रहने की बात कर के हम मुंबई आए थे। मुंबई आने के बाद उसने कहा कि मैं अपनी दीदी के साथ रहूंगी तुम अपना इंतजाम देख लो। परेशानी की हालत में मै मुंबई के एक उपनगर अंधेरी वेस्ट पहुचीं। किसी ने सलाह दी कि इस्कॉन मंदिर में शरण ले लूं। भगवान श्री कृष्ण ने मेरी आवाज़ सुनी और इस्कॉन मंदिर में रुकने की जगह मिल गई। दो दिनों बाद मुझे महाडा कॉलोनी में रूम मिला। काम की शुरुआत करने के लिए मैंने गुगल से प्रोडक्शन हाउसेस के एड्रेस और नंबर निकाल कर वहाँ जाना शुरू किया।
सबसे पहला कॉल बोधट्री प्रोडक्शन से आया कि एक छोटे से कैमियो है “बड़े भैया की दुल्हनिया” सीरियल के लिए। इसके लिए मैने काम किया। इसे लोगों ने सराहा और जब टीवी पर मम्मी पापा ने देखा तो वो भावुक हो गये कि मुझे काम मिल गया। इसके बाद मेरे अंदर और भी ज्यादा कॉन्फिडेंस आया और मैं निरन्तर ऑडिशंस देती रही। मझे “माया” वेब सीरीज कि लिए कॉल आया शम्मा सिकंदर की दोस्त के कैरेक्टर के लिए। विक्रम भट्ट जी उसके डायरेक्टर थे। उसके बाद मैं छोटे मोटे केमियोज़ करती रही डिजिटल एड्स, सीरियलस ब्रेक आसानी से मिले। बाक़ी मेहनत तो हर फील्ड में है। काम मिलता रहे इसके लिए मैं ऑडिशन्स देती रहती थी।
मुंबई आ कर हजारों लड़कियां स्टार बनना चाहती हैं। इसके लिए वे शॉर्ट कट अपनाती हैं, गलत लोगों के जाल में फंस जाती हैं।क्या आपको भी इंडस्ट्री में कड़वे अनुभव हुए। नई लड़कियों से अपने अनुभवों के आधार पर क्यों कहना चाहेंगी?
2016 से 2024 तक के सफ़र का जो मेरा अनुभव रहा है उससे मैंने बहुत कुछ सीखा है। लोगों को भी ऑब्ज़र्व किया। मुंबई आ कर हज़ारो लड़के और लड़किया जो शॉर्ट कट अपनाते है वो बहुत ही ग़लत करते हैं। अगर उन्हें सच में अपनी कला से प्यार है तो शॉर्ट कट कभी नहीं अपनाना चाहिए। नई लड़कियां काम पाने के लिए कई तरह के समझौते कर लेती हैं। मेहनत कर के आगे बढ़ने में थोड़ा समय ज़रूर लगेगा लेकिन कामयाबी ज़रूर मिलेगी। कई कलाकार अनजाने में ग़लत लोगो के चक्करों मे फंस जाते हैं जैसे पैसे दे कर नक़ली कास्टिंग वालो के चंगुल में आ जाना। कास्टिंग कंपनी ऑडिशन या शूट करने के पैसे नहीं माँगती जो माँगते वे ग़लत है, उल्टा आपको आपके काम, आपके शूट का जो भी काम आप करते हो आपको उसका पैसा मिलेगा। आप अपने काम के लिए सीरियस रहिए। ग़लत चीजों में ना फसे, और कोई भी आपको ऑडिशन देने या शूट देने की गारंटी देकर पैसा मांगे तो कभी उनके जाल में मत आइए क्योंकि वे फ्रॉड होते हैं।
आपको प्रारंभिक संघर्ष के दौरान कभी ऐसा भी लगा कि अपने शहर वापस लौट जाना चाहिए। अपने आत्मविश्वास को कैसे आपने कायम रखा?
2016 में मैं मुंबई आई थी और मैंने जो भी काम किए वो कुछ दिन के ही कैमियो होते थे। कुछ बड़ा अचीव करना है वह अहसास तब हुआ जब विक्रम भट्ट सर की वेब सीरीज “माया” की। सर से पहली बार मिली और उन्होंने मुझे बहुत मोटिवेट किया। शुरुवात में मुझे ऐसा कुछ फील नहीं हुआ के गिव अप करके वापस घर लौट जाऊँ। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया की एक्टिंग में काम नहीं मिल रहा था तो मैंने सोचा क्यों ना बॉलीवुड में जो बैकग्राउंड डांसर होते हैं उसमे ट्राय करूँ ताकि बड़े बड़े एक्टर और एक्ट्रेसेस से मिलने का मौका मिल जाए। डांस के प्रति रुचि तो थी ही। डांस के सींस करते हुए पता चला कि इसमें बहुत मेहनत लगती है, रिहर्सल होती है उसके बाद सॉंग शूट के टाइम में भी रिहर्सल होती है और वो भी तुरंत कैच करना पड़ता है। एक एक स्टेप में कोशिश करती रही और डांस शूट करती रही और अपना एक सपना पूरा किया। इंडस्ट्री के कई बड़े कलाकारों के साथ डांस सींस करने का मौक़ा मिला। फिर एक समय ऐसा आया मुझे लगने लगा कि मैं अपने सपने से भटक रही हूँ। मैं यहां एक्टिंग करने आई थी और डांसिंग लाइन में चली गई। एक्टिंग में काम नहीं मिल रहा था। क्योंकि डेट्स क्लैश हो रही थीं। जब डांस छोड़ा तो एक्टिंग का काम भी मिलना बंद हो गया। मम्मी पापा ने कहा कि कोई बात नहीं तेरा सपना था एक्टिंग का। तुझे हमने टीवी में देख लिया हमारा सपना पूरा हो गया और तेरा भी, तू निराश मत हो घर आ जाओ। फिर मेरा भी दिल मानो हार मानने लगा सोचा शायद घर ही चले जाना चाहिए। मैंने वापस जाने का मन बना लिया था फिर मुझे लोगो ने समझाया कि मुंबई कलाकारों को परखती ज़रूर है। फिर काम का इंतज़ार करते करते अपने घर दिल्ली आ गई। किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दिल्ली आते ही मुंबई से सीरियल करने के लिए कॉल आने लगे। मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। मुंबई आ कर ख़ुद को फिर से सम्भाल लिया। यह सीरियल था ”श्रवणी” जिसमे मेरा विकास ग्रोवर की दूसरी पत्नी की किरदार था। इस तरह मेरा आत्मविश्वास टूटने से बचा और मुंबई मेरी कर्मभूमि बन गई।
ऐसा कहा जाता है कि फिल्म इंडस्ट्री में कोई आपका सच्चा साथी/मार्गदर्शक नहीं होता। एक एक्टर को अपनी पहचान खुद ही बनानी पड़ती है। इंडस्ट्री में किसी ने आपकी मदद की या अपनी मेहनत से आप आगे बढ़ रही हैं?
यह बात बिल्कुल सही है। आपका परिवार ही आपका सच्चा मार्गदर्शक होता है, मेरे डाउन टाइम पर मेरे मम्मी पापा, मेरे भाई बहन ने मझे काफ़ी सपोर्ट किया उन्होंने मुझे गिव अप नहीं करने दिया। मैंने मेहनत ज़ारी रखी क्योंकि एक टाइम ऐसा भी था जब बिल्कुल काम नहीं था लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मम्मी पापा ने मुझे निराश होने नहीं दिया। एक बार मेरे पास लीड का एक प्रोजेक्ट आया था, साइन भी कर लिया था। बस कॉस्ट्यूम फाइनल होना था। मेरी खुशी थी कि फाइनली मैं सीरियल में लीड करूँगी और मैंने अपने घरवालों को भी बताया था वो भी बहुत खुश हुए कि मेरी मेहनत रंग लाई। अगले दिन मैं प्रोडक्शन हाउस गई कॉस्ट्यूम के लिए उसी दिन मेरी क्रिएटिव से मीटिंग करवाई गई। मुझे यह सुन कर झटका लगा कि सॉरी आप को इसमें नहीं ले सकते। उन्होंने कहा कि रोल के हिसाब से आपका लुक यंग लग रहा है। बहुत हिम्मत कर के घर वालों को मैने बताया कि मेरा काम कैंसल हो गया है। उन्होंने बस इतना कहा की कोई बात नहीं जो होता है अच्छे के लिए होता है। तेरे पास कुछ और अच्छा काम आयेगा निराश मत होना मैंने और मेहनत की और आगे काम करती रही।
इंडस्ट्री में मुझे एक भैया रोहित त्रिवेदी मिले जो की स्वास्तिक प्रोडक्शन में थे उन्होंने मुझे सही और ग़लत लोगो की पहचान कराई काम के लिए मुझे कुछ कांटेक्ट्स दिए उन्होंने मुझे अपनी छोटी बहन मान कर खूब केयर की। उनको मै आज भी बहुत मानती हूँ। मेहनत मेरी जारी रही और स्वास्तिक प्रोडक्शन के साथ मैंने कई शूट किए। कभी सफलता मिली कभी विफलता। मैंने मन बना ही लिया था हार नहीं माननी है। जो भी मैनें अभी तक हासिल किया है अपनी मेहनत से ऑडिशन देकर किया है।
एक्टर के रूप में आपने अब तक कितने प्रोजेक्ट्स किए है। एक एक्टर के रूप में आपको पहचान दिलाने वाली कौन सा सीरियल/ सॉन्ग था?
एक एक्टर के रूप में मैंने 20 से अधिक सीरियल किए हैं। “श्रवणी” सीरियल में काम कर के बहुत ही अच्छा लगा। सबसे ख़ास बात यह थी कि प्रोडक्शन के लोग बहुत सहयोगी थे, खासकर हमारे प्रोडूसर रघुवीर शेखावत जी जो एक प्रोडूसर के साथ साथ एक बहुत ही अच्छे इंसान भी हैं। उनके साथ काम करके लगा कि हम अपने परिवार के साथ काम कर रहे हैं। इससे मझे एक अच्छी पहचान मिली लोगो ने मुझे ऑब्ज़र्व किया। लोग मुझे प्रीति के नाम से जानने लगे। दूसरी बड़ी पहचान मुझे “लाल बनारसी” सीरियल से मिली। मैंने कभी नहीं सोचा था मैं उनके साथ काम करूँगी जिनको हम बचपन से टीवी पर देखते आए हैं। मेरा पूरा परिवार “दिया और बाती” देखता था और उसी सीरियल के लिए मैंने अपना ऑडिशन क्रैक किया। उस सीरियल में मैंने “कैरी” की भूमिका निभाई है। “दिया और बाती” में नीलू वाघेला जी की पोती का कैरेक्टर निभाया। हमने सेट पर बहुत मस्ती की, बहुत अच्छा समय रहा शूट का। उसमे मेरे मल्टी कैरक्टर्स थे जैसे मासूम, दादी के कहने पर चलने वाली नेगेटिव भी, कॉमेडी भी, लाडली भी, चालाक भी और कभी बेवकूफ भी। उसके बाद एक सॉंग भी आया “तेरे सिवा” यह भी बहुत पसंद किया गया। म्यूच्यूअल फ़ंड का एक ऐड जो राखी के त्योहार पर आया था वह भी काफ़ी वायरल हुआ जो की एक डिजिटल ऐड था उसमे मैंने लीड किया था।
नए वर्ष में अपने करियर के लिए क्या सपने,क्या उम्मीदें हैं आपकी?
मैं और कुछ अच्छा और बड़ा करना चाहती हूँ। जैसे कोई लीड रोल या इसके पैरेलल। आशा करती हूँ की नया साल मेरे करियर लिए नई उम्मीदें, नए अवसर ले कर आयेगा। मेरा सपना है बॉलीवुड और साउथ की मूवी मैं काम करने का। वेब सीरीज में भी काम करना चाहूंगी और सिरियल्स में भी लीड करना चाहूँगी। जितने भी आर्टिस्ट है सबके लिए यही दुआ करूँगी की यह नया साल मेरे साथ साथ उनके लिए भी एक अच्छी पॉजिटिव एनर्जी के साथ एक नई उमंग ले कर आये और उन्हें नई कामयाबियां मिलें।