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अपने काम से प्यार करें, धैर्य रखें और हमेशा सीखने की कोशिश करें

 

राजेश रोशन जी के साथ काम करना मेरे लिए सबसे खास अनुभव रहा। उनकी संगीत की समझ और सादगी प्रेरणादायक रही

 

विजय अकेला

गीतकार

 

 

गीतकार विजय अकेला का नाम हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उन लेखकों में शुमार है, जिन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी लेखनी में न केवल गहराई और भावनात्मकता है, बल्कि एक सादगी भी है जो सीधे दर्शकों के दिलों को छू जाती है।

गीतकार विजय अकेला से गुरबीर सिंघ चावला की खास बातचीत

 

विजय अकेला का जन्म एक साहित्यप्रेमी परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि लेखन और संगीत में थी। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा के दौरान कविताएं लिखना शुरू किया और मंच पर प्रस्तुति देकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। कॉलेज के दिनों में वे साहित्य और संगीत के प्रति गहराई से आकर्षित हो गए। यहीं से उनके भीतर फिल्मी गीतकार बनने का सपना जन्मा।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद विजय अकेला ने यूएई का रुख किया, जहां उन्होंने 89.1 रेडियो 4 में रेडियो जॉकी के रूप में काम किया। हालांकि, इस दौरान भी उनका दिल मुंबई में था। रेडियो की नौकरी से असंतुष्ट हो कर, उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए सब कुछ छोड़कर मुंबई लौटने का फैसला किया।

 

मुंबई में विजय अकेला के संघर्ष के दिन आसान नहीं थे। लेकिन उनके ज़ुनून और मेहनत ने उन्हें “कहो ना प्यार है” जैसी बड़ी फिल्म तक पहुंचा दिया। राकेश रोशन द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उनके लिखे गाने “इक पल का जीना” और “फिर तो है जाना” ने न केवल फिल्म को सुपरहिट बनाया, बल्कि उन्हें एक सफल गीतकार के रूप में स्थापित कर दिया।

 

कहो ना प्यार है” की सफलता और उसके बाद का सफर

 

14 जनवरी 2000 को रिलीज हुई “कहो ना प्यार है” ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया। ऋतिक रोशन और अमीषा पटेल की इस फिल्म में राजेश रोशन के संगीत और विजय अकेला के गीतों का योगदान अद्वितीय था। फिल्म का हर गाना दर्शकों के बीच हिट हुआ, और विजय अकेला का नाम रातों-रात चर्चा में आ गया।

 

इस फिल्म के बाद, विजय अकेला ने कई अन्य फिल्मों के लिए भी गाने लिखे। उनकी लेखनी में नयापन और ताजगी थी, जो उन्हें अन्य गीतकारों से अलग बनाती थी। लेकिन उनके करियर का यह सुनहरा दौर भी कुछ व्यक्तिगत और पेशेवर उतार-चढ़ाव से भरा हुआ था।

 

यादगार पल और व्यक्तिगत जीवन

 

विजय अकेला ने अपनी मेहनत और लगन से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई। “कहो ना प्यार है” के दौरान उनके और राजेश रोशन व लकी अली के बीच हुई रचनात्मक बातें आज भी उनके दिल के करीब हैं। हालांकि, इस दौरान उनका यूएई जाना और आमिर खान के साथ “लगान” में काम करने का मौका खो देना उनके करियर का एक ऐसा पहलू है, जिसे वे आज भी याद करते हैं।

 

उनका मानना है कि हर कलाकार के जीवन में संघर्ष का दौर आता है, लेकिन धैर्य और मेहनत ही आपको सफलता तक पहुंचाती है। अपने लेखन के माध्यम से, वे आज भी युवा लेखकों और संगीतकारों को प्रेरित करते हैं।

उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश

आपका रुझान फिल्मी दुनिया की तरफ कैसे हुआ?

 

बचपन से ही मेरा झुकाव साहित्य और संगीत की तरफ था। कविताएं लिखना और मंच पर प्रस्तुति देना मेरी आदत बन गई थी। यूएई में रेडियो जॉकी के रूप में काम करते समय भी मैं हमेशा हिंदी सिनेमा के लिए गीत लिखने का सपना देखता था। अंततः, मैंने अपनी नौकरी छोड़कर मुंबई आने का फैसला किया, और यहीं से मेरा फिल्मी सफर शुरू हुआ।

 

आपकी पहली फिल्म “कहो ना प्यार है” आपको कैसे मिली?

 

यह मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था। मुझे यह मौका राकेश रोशन जी ने दिया। जब मैंने “इक पल का जीना” और “फिर तो है जाना” लिखे, तो मुझे यकीन था कि ये गाने दर्शकों को पसंद आएंगे। फिल्म की पूरी टीम की मेहनत ने इसे यादगार बना दिया।

 

किनके साथ काम करके आप अधिक रोमांचित हुए?

 

राजेश रोशन जी के साथ काम करना मेरे लिए सबसे खास अनुभव रहा। उनकी संगीत की समझ और सादगी प्रेरणादायक थी। ऋतिक रोशन के साथ काम करना भी खास था, क्योंकि “कहो ना प्यार है” से पहले हम दोनों एक ही डांस क्लास में सीख रहे थे।

 

कहो ना प्यार है” से जुड़ा कोई यादगार पल?

 

मैं आज भी 14 जनवरी 2000 का दिन नहीं भूल सकता, जब मैंने अपने दोस्तों को फिल्म की फ्री टिकट्स बांटी थीं। फिल्म की सफलता ने मेरे सपने को नई उड़ान दी। हालांकि, इस दौरान यूएई जाने के कारण “लगान” में आमिर खान के साथ काम करने का मौका खो दिया, जो मेरे लिए एक अफसोस की बात है।

आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताइए।

 

मैं कुछ नए कलाकारों और निर्देशकों के साथ काम कर रहा हूं। इसके अलावा, मेरी कोशिश है कि ऐसी रचनाएं तैयार करूं जो नई पीढ़ी की भावनाओं को व्यक्त करें। फिलहाल कुछ बेहतरीन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा हूं, जिनमें एक अंतरराष्ट्रीय एल्बम, आशा भोंसले का गाना, शंकर महादेवन के साथ एक प्रोजेक्ट, और एहसान अहमद के साथ एक एल्बम शामिल हैं। इसके अलावा, मेरा दूसरा कविता संग्रह “जिहाद” जल्द ही प्रकाशित होगा, और मैं एक फिल्म का निर्देशन भी कर रहा हूं।

 

आप नए लेखकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

 

अपने काम से प्यार करें, धैर्य रखें, और हमेशा सीखने की कोशिश करें। संघर्ष के बिना कुछ नहीं मिलता, लेकिन मेहनत और लगन आपको आपकी मंजिल तक जरूर पहुंचाएगी।

आगामी प्रोजेक्ट्स: नए आयामों की ओर

 

विजय अकेला अपनी रचनात्मकता को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। उनके आगामी प्रोजेक्ट्स उनकी विविधता और कला के प्रति समर्पण को दर्शाते हैं:

एक अंतरराष्ट्रीय एल्बम जिसमें AMETH MALE, शंकर महादेवन और विजय अकेला की जुगलबंदी देखने को मिलेगी।

 

संगीतकार श्रवण (नदीम-श्रवण जोड़ी) के अंतिम गाने के लिए फिल्म “उड़ी” में उनका गीत, जिसे पलक मंुजाल ने अपनी आवाज़ दी है।

 

आशा भोंसले का एक खास मुजरा गाना फिल्म “An Idiot and a Beautiful Liar” के लिए।

 

कंपोज़र और गायक एहसान अहमद के साथ एक विशेष एल्बम।

 

विजय अकेला अब फिल्म निर्देशन में कदम रख रहे हैं। उनकी आगामी फिल्म की स्क्रिप्ट और प्री-प्रोडक्शन का काम लगभग पूरा हो चुका है।

 

उनका दूसरा कविता संग्रह “जिहाद” जल्द ही पाठकों के सामने होगा।

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