दो बातें

दो बातें

संगीता मिश्रा

कवियत्री

गायिका

संगीतकार

नई दिल्ली

दो बातें जो लेखन में सृजनशीलता के लिए 

ज़रूरी हैं?

 

संवेदनशीलता

 

गहन अध्ययन

 

अपने प्रोफेशनल कैरियर की दो बातें जो आपके लिए अविस्मरणीय हैं?

 

न्यूज चैनल में एंकरिंग के पहले दिन मेरे चीफ़ एडिटर ने कहा था कि आपका काम सिर्फ़ स्टूडियो में ख़त्म नहीं होगा बल्कि चौबीसों घण्टे चलेगा। दिन के हर सेकंड ख़ुद को कैमरे के सामने महसूस करना होगा।

 

दैनिक हिंदुस्तान के साहित्य संपादक श्री अवधेश प्रीत जी ने ख़ुद फ़ोन कर कहा कि भाषा पर आपकी पकड़ अच्छी है।

 

दो विशेषताएँ जो एक सफल कवयित्री में होनी चाहिए?

 

यथार्थ की कटुता को सुंदर और मधुर दिखाने की कला !

 

कठिन विषय को सरल दिखाने की कला !

 

आपकी लिखी दो कविताएँ जिनसे आपको साहित्य के क्षेत्र में पहचान मिली?

 

“नाम मेरा जल की धारा”, मेरी आत्मकथात्मक छंदबद्ध कविता जो गूगल सर्च (SEO) में कई वर्षों तक टॉप पर रही !

 

“दिल्ली की हवा”… मेरी ग़ज़ल जो आज भी वायु प्रदूषण पर लिखी शायद इकलौती रचना है जो गूगल SEO (टॉप सर्च) में आती है।

दो बातें जो साहित्य और संगीत को एक कड़ी में पिरोती हैं ?

 

माधुर्य (Mellifluence)… किसी भी कला विधा की मिठास और तारतम्य ही उसे कला बनाते हैं। कला कभी कर्कश नहीं हो सकती।

 

लयात्मकता (Rhythmicity)… लय – ताल के बिना संगीत नहीं, पर साहित्य में भी यह अत्यावश्यक है। केवल कविता ही नहीं, वल्कि गद्य की भी अपनी विशेष गति होती है।

 

दो बातें जिनसे आपको गायिका बनने की प्रेरणा मिली?

 

बचपन में घर में संगीत का माहौल।

 

स्कूल के शिक्षकों का प्रोत्साहन।

 

दो बातें जो आप अपने ग़ज़ल संग्रह “हम ख्वाब से बातें करते हैं” के ज़रिए कहना चाहती हैं?

 

ख़्वाब… सपने कभी नहीं मरते बल्कि यथार्थ की कटुता तले धूमिल हो जाते हैं ! पर अनुभव की हवा सारी धूल उड़ाती, सपनों को ताज़ा करती रहती है। मेरी किताब के पन्ने उन्हीं सपनों से भरे पड़े हैं।

 

ज़िन्दगी एक बेहद ख़ूबसूरत नेमत है। दुःख का भी अपना एक अलग सौन्दर्य होता है।

 

दो बातें जो आपको हिंदी भाषा में प्रिय हैं?

 

हिंदी भाषा तार्किक और वैज्ञानिक है। अंग्रेज़ी की तरह इसकी उच्चारण प्रणाली में अपवाद (Exceptions) नहीं होते । हम जो लिखते हैं वही बोलते हैं। हिंदी भाषा संस्कृत के पाणिनी व्याकरण पर आधारित है जो इसे अंग्रेज़ी से कहीं अधिक व्यवस्थित और पद्धतिबद्ध (organized and systematic) बनाता है।

 

हिंदी जन सामान्य की, एकता की भाषा है । यह एक गुणग्राहक भाषा है जो दूसरी सभी भाषाओं के शब्दों को बहुत आसानी से ख़ुद में समाहित कर उन्हें अपना बना लेती है। संस्कृत, अरबी, फ़ारसी, अंग्रेज़ी तथा अन्य लोक बोलियों के शब्द इसमें मिलजुल कर हिन्दीमय हो गए हैं और हिंदी को समृद्ध बनाते हैं।

 

जीवन में कठिन समय के संघर्ष के दौरान की ऐसी दो बातें जिनसे आपको हौसला मिला?

 

यदि मैं हार गई तो मेरे अपनों को दुःख होगा।

 

अपनी बेटियों के चेहरे की मुस्कुराहट।

 

अपनी दोनों बेटियों से आपकी दो अपेक्षाएँ?

 

वो अच्छी इंसान बनें।

 

वो भावनात्मक और आर्थिक, दोनों रूप से आत्मनिर्भर बनें।

दो शक्तियांँ जो हर महिला में होती हैं?

 

अंतर्ज्ञान (सहजज्ञान, intuition), अर्थात सही ग़लत का स्वाभाविक बोध !

 

प्रतिस्कंदन (लचीलापन, Resilience, Nil Desperandum), अर्थात विपरीत परिस्थितियों में भी दुगनी क्षमता और ऊर्जा से काम करना और विषम परिस्थितियों से उबर आना !

 

दो बातें जो महिला सशक्तिकरण के लिए जरूरी हैं?

 

शिक्षा

 

माता-पिता अपनी बेटियों को दहेज नहीं बल्कि संपत्ति में उनका सही अधिकार दें।

 

दो बातें जो आप अपने आलोचकों से कहना चाहतीं हैं?

 

सच्ची आलोचना मेरी रचनाशीलता में नए पँख जोड़ती है इसलिए मैं “निंदक नियरे राखिए” में विश्वास करती हूँ !

 

नकारात्मक आलोचना मेरे पँख नहीं कतर सकती क्योंकि मैं उसे अनदेखा करना जानती हूँ !

 

दो जीवनमूल्य जो आपको अपने माता पिता से मिले हैं?

 

माँ से मिली है जिजीविषा… कभी न हारना !

 

पिता से मिली है सत्यनिष्ठा… किसी भी परिस्थिति में सच का साथ न छोड़ना !

 

आपके गृह नगर पटना के दो आकर्षण जो सब को आकर्षित करते हैं?

 

गोलघर, जो वास्तव में अनाज भंडारण का स्थान था पर अपनी विशिष्ट स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है।

 

अगम कुआँ, एक पुरातात्विक स्थल, जिसका निर्माण चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य ने किया था। किंवदंतियाँ कहती हैं कि अशोक ने अपने निन्यानवे सौतेले भाइयों को मारकर इसमें ही फेंका था।

दो संदेश जो आप नए रचनाकारों को देना चाहती जो अपनी पहचान बनाना चाहते हैं?

 

ख़ूब पढ़ें। एक शब्द लिखने से पहले सौ शब्द सीखना ज़रूरी है।

 

अपनी त्रुटियों को पहचानें और उनके संशोधन का बार- बार प्रयास करें। रचनाशीलता धीमी आँच पर पकती है। इसमें जल्दबाज़ी का कोई स्थान नहीं।

 

 

दो लक्ष्य जो आप अपने जीवन में हासिल करना चाहती हैं?

 

मैं कुछ ऐसा रचूँ कि मेरी मृत्यु के बाद भी मुझे पढ़ा जाए।

 

अब तक जो भी लिख रखा है, वो लोगों तक किसी अच्छे प्रकाशक के माध्यम से पहुँचे।

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